कौन कहता है भारत स्त्री प्रधान देश है ?
जहाँ कभी स्त्री को पूजा जाता था ,वहां आज स्त्री बस एक जिस्म बन कर रह गयी है जिसका होना पुरुष की हवस शांति के लिए अनिवार्य है। यहाँ तक की आज समाज में मासूम छोटी बचियों से लेकर बुजुर्ग महिलाये तक सुरक्षित नहीं हैं ।
देश के गावों की बात छोडिये जब देश के महानगरो में जहा पढ़े लिखे लोग रहते हैं , रोज कितने ही ऐसे शोषण होते हैं जिनमे से शायद ही कुछ वारदाते खुल कर सामने आती है बाकि तो बद्नामी के दर से वही कफ़न पहन लेती है जो धीरे धीरे शोषित महिला को खाती चली जाती है। महानगरो के अलावा देश के बाकि हिस्सों में भी जाने कितनी मासूम ये दर्द दबा कर बैठी होंगी जिहोने उनके साथ हुआ ये जुल्म न किसी को बताया न जताया।
लोगो का ये भी मानना हैं की आज कल नारी समाज खुद इस तरह के शारीरिक शोषण को बढावा दे रही हैं छोटे वस्त्र पहन कर , घर से बाहर घूम कर अगर ऐसा ह तो उन मासूम स्कूल जाती बचियों के साथ शारीरिक शोषण केसे ? क्या वो भी इस समाज को उनका शोषण करने के लिए उकसा रही हैं ?
क्यों नहीं कोई माँ - बाप अपने बेटो को ये समझाते की लड़कियां सामान नहीं एक ऑब्जेक्ट नहीं हैं .अगर बड़े कपडे पहनने से बलात्कार नहीं होते तो मुस्लिम महिलाओ के बलात्कार नहीं हो रहे होते .
देश में इतना सब हो रहा है और अब भी हमारी सरकार मूक बन कर बैठी हैं। क्या महिलाये कभी इस शोषण से स्वतंत्रता नहीं पा सकेंगी ? क्या वो कमरे के किसी कोने में ली गयी सिसकियाँ कभी इन्साफ पा सकेंगी ? सरकार नारी सुरुक्षा के लिए कब कोई ढोस कदम उठाएगी ?
क्या खुद कभी महिलाये इसके लिए कदम उठा पायेंगी ?
आज भी इतना आगे जाने के बाद भी वो अपनी मर्ज़ी से कोई काम नहीं कर सकती .ना जी सकती उसकी सांसो पे पहले उसके माँ -बाप का हक होता है और शादी के बाद उसके पति का .अगर वो कुछ कहना चाहे कुछ करना चाहे तो कभी कुलटा ,कभी बद्चलन बना दिया जाता है .
अगर एक औरत अपने करियर को ना छोड़ना चाहे तो उसपे शक किया जाता है ,अगर जॉब छोड़ना हो तो लड़की को छोड़ना पड़ता है .
क्या सिर्फ औरत की ही पूरी जिम्मेदारी होती है घर की इज्जत सँभालने की.
जब एक लड़की की शादी बिना उसकी मर्ज़ी के होती है तो क्या उसके इमोशन का उसके सपनो का बलात्कार नहीं होता उसका .
कही अपने मायके में मार दी जाती है इज्जत के लिए कही अपने ससुराल में जला दी जाती है पैसो के लिए .औरत अपने घर में भी सुरछित नहीं .और कभी -कभी माँ के पेट में मार दी जाती है लड़की तो अपनी माँ के पेट में भी सुरछित नहीं .
क्या हम सच में एक शभ्य समाज है ? क्या हम सच में जानवरों से बेहतर हैं ?
शायद अब हमारे समाज की औरतो को अब खुद जागना पड़ेगा क्युकी कोई किसी के लिए नहीं लड़ता खुद लड़ना पड़ता है .