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Web Development Tips and Tricks

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Wednesday, November 13, 2013
Sunday, October 20, 2013
hindi love story novel
मै रहूँगा .. वही -कही रहूँगा .. हमेशा तुम्हारे आस-पास
मै रहूँगा .. वही -कही रहूँगा .. हमेशा तुम्हारे आस-पास .. किताबों के पन्नो में .. पेन में .. पेन की इंक में .. लोगो की बातो मे .. बातों को छुपाने में .. जवाबो में ...मै रहूँगा .. वही -कही रहूँगा .. हमेशा तुम्हारे आस-पास ..कही आने की ख़ुशी में .. कही जाने के दुःख में ... अपनों से मिलने की ख़ुशी में .. अपनों से दूर जाने के दुःख में ..मै रहूँगा .. वही -कही रहूँगा .. हमेशा तुम्हारे आस-पास ... जब माँ -पापा फक्र से तुम्हारे कंधो पे हाथ रखेंगे .. उन हाथो की गर्माहट में .. जब तुम माँ का हाथ अपने हाथो में लोगी उन्हें सहारा देने के लिए .. तो उन हाथो के बीच के भरोसे में .. मै हूँ .. मै रहूँगा .. वही -कही रहूँगा .. हमेशा तुम्हारे आस-पास .. तुम्हारी खिलखिलाती हसी में .. तुम्हारे आँखों से गिरते हुए मोती जैसे आसुओ में ..मेहदी की खुशबू में .. चूडियों की आवाज़ में ..मै रहूँगा .. वही -कही रहूँगा .. हमेशा तुम्हारे आस-पास ... रंगों में ,रश्मो में .. आशीर्वाद में ..मै रहूँगा .. वही -कही रहूँगा .. हमेशा तुम्हारे आस-पास .. जब सुबह के वक़्त सूरज की किरने तुम्हारे हाथो पे पड़ेंगी .. तो उनमे ..बालकोनी के पिंक फ्लावर पे जब सनलाइट अपनी ब्राइटनेस फैलाएगी तो उनकी ब्राइटनेस में .. मै हूँ ..मै रहूँगा .. वही -कही रहूँगा .. हमेशा तुम्हारे आस-पास .. जब हवा चलेगी और पर्दा तुम्हे छु जायेगा ,तो परदे के छु जाने में .. जब सर्दियो में ठण्ड लगेगी ..और तुम धुप में जाओगी तो धूप की राहत में .. जब गर्मियो में पसीने से तंग आ कर छत पे टहलते हुए ठंडी साँस लोगी तो उसमे ... मै रहूँगा .. वही -कही रहूँगा .. हमेशा तुम्हारे आस-पास .. घर की सफाई में .. बर्तनों की आवाज में .. खाने की खुशबू में .. गाने की रास में .. खीर की मिठास में ..मै रहूँगा .. वही -कही रहूँगा .. हमेशा तुम्हारे आस-पास.. कैमरे की क्लिक में .. तुम्हारे लगाये पौधों में आने वाले पत्तो में ..मै रहूँगा .. वही -कही रहूँगा .. हमेशा तुम्हारे आस-पास .. चाय में पत्ती डालते हुए तुम्हारी खुलती हुई मुठ्ठी की उँगलियों में .. मैगी की खुशबू में .. बारिश में ..बारिश के मौसम में मिटटी की खुशबू में ..मै रहूँगा .. वही -कही रहूँगा .. हमेशा तुम्हारे आस-पास ... बर्थडे सेलिब्रेशन में .. छोटी छोटी मोम्बतियो में ..केक की मीठी मीठी खुशबू में .. खिलौनों में .. गार्डन के बीच खड़े झूले पे .. नोवेल में .. स्टोरी बुक में ..मै रहूँगा .. वही -कही रहूँगा .. हमेशा तुम्हारे आस-पास .. जब तुम गुस्सा करोगी तो उस गुस्से को काबू करने में .. जब सर दर्द करेगा और तुम धीरे धीरे सर दबाओगी तो तुम्हारी उंगलियो और माथे के बीच में .. जब बुखार में तुम दवा लोगी तो पानी के ग्लास में .. मै रहूँगा .. वही -कही रहूँगा .. हमेशा तुम्हारे आस-पास ...प्यार में ,दुलार में ...सबकी दुआओ में ..मै रहूँगा .. वही -कही रहूँगा .. हमेशा तुम्हारे आस-पास .. पराठा बनाते तुम्हारे हाथो में .. सबकी बात मानने वाली आँखों में .. खाने की मेज़ पर तुम्हारी गूंजती हसी में .. सबके चेहरे की मुस्कराहट में ..मै रहूँगा .. वही -कही रहूँगा .. हमेशा तुम्हारे आस-पास .. तुम्हारे हाथो में ..बालो में .. पलकों को झपकने में .. सुकून मे ..प्राथना में .. अज़ान में .. मै रहूँगा .. वही -कही रहूँगा .. हमेशा तुम्हारे आस-पास .. हर फैसले में .. जिम्मेदारी में ..हर मोड पे .. बिस्वास मे .. बधाई में ..मै रहूँगा .. वही -कही रहूँगा .. हमेशा तुम्हारे आस-पास .. मई थोडा थोडा सा हर जगह रहूँगा .. कभी दिल करे तो इस थोड़े थोड़े को इकठ्ठा कर लेना .. फिर दिल करे तो महसूस करना ..मै रहूँगा .. वही -कही रहूँगा .. हमेशा तुम्हारे आस-पास .. अगर चाहती हो की मई हमेशा रहूँ तो मेरे सपनो को पूरा कर देना .. और हिम्मत मत हारना .. भरोसा रखना अपने आप पे और भगवान पे .. सच्चे दिल से देखा हुआ हर सपना पूरा होता है ..... ॥
तुम्हारी मैगी में ..ठंडे चाय मे .. तुम्हारी हसी में .. मै रहूँगा .. वही -कही रहूँगा .. हमेशा तुम्हारे आस-पास
Wednesday, October 16, 2013
आजकल के लोग
‘ओ… रिक्शे वाले, कमला नगर चलोगे? ‘ शिवम जोर से चिल्लाया।
‘हाँ-हाँ क्यों नहीं?’ रिक्शे वाला बोला।
‘कितने पैसे लोगे?’
‘बाबू जी दस रुपए।’
‘अरे दस रुपए बहुत ज्यादा हैं मैं पाँच रुपए दूँगा।’
रिक्शे वाला बोला, ‘साहब चलो आठ…’
‘अरे नहीं मैं पाँच रुपए ही दूँगा।’ रिक्शेवाला सोचने लगा, दोपहर हो रही है जेब में केवल बीस रुपए हैं, इनसे बच्चों के लिए एकसमय का भरपेट खाना भी पूरा नहीं होगा।
मजबूर होकर बोला ठीक है साब बैठो। रास्ते मेंरिक्शेवाला सोचता जा रहा था, आज का इंसान दूसरे इंसान को इंसान तो क्या जानवर भी नहीं समझता। ये भी नहीं सोचा यहाँ से कमला नगर कितनी दूर है, पाँच रुपए कितने कम हैं। मैं भीक्या करूँ? मुझे भी रुपयों की जरूरत है इसलिएइसेपाँच रुपए में पहियों की गति के साथ उसका दिमाग भी गतिशील था।
कमला नगर पहुँचने के बाद जैसे ही वह रिक्शे से नीचे उतरा। एक भिखारी उसके सामने आ गया। शिवम ने अपने पर्स से दस रुपए उस भिखारी को दे दिए और पाँच रुपए रिक्शे वाले को।
रिक्शेवाला बोला, साहब मेरे से अच्छा तो यह भिखारी रहा जिसे आपनेदस रुपए दिए। मैं इतनी दूर से लेकर आया और मेरी मेहनत के सिर्फ पाँच रुपए?’
शिवम बोला, ‘भिखारी को देना पुण्य है। मैंने उसे अधिक रुपए देकर पुण्य कमाया है।’
‘और जो मेरी मेहनत की पूरी मजदूरी नहीं दी ऐसाकरके क्या तुम पाप के भागीदार नहीं?’ रिक्शेवाले ने कहा। उसकी बात सुनते ही शिवम को क्रोध आ गया। वह बोला -’तुम लोगों से मुँह लगाना ही फिजूल है।
‘हाँ-हाँ क्यों नहीं?’ रिक्शे वाला बोला।
‘कितने पैसे लोगे?’
‘बाबू जी दस रुपए।’
‘अरे दस रुपए बहुत ज्यादा हैं मैं पाँच रुपए दूँगा।’
रिक्शे वाला बोला, ‘साहब चलो आठ…’
‘अरे नहीं मैं पाँच रुपए ही दूँगा।’ रिक्शेवाला सोचने लगा, दोपहर हो रही है जेब में केवल बीस रुपए हैं, इनसे बच्चों के लिए एकसमय का भरपेट खाना भी पूरा नहीं होगा।
मजबूर होकर बोला ठीक है साब बैठो। रास्ते मेंरिक्शेवाला सोचता जा रहा था, आज का इंसान दूसरे इंसान को इंसान तो क्या जानवर भी नहीं समझता। ये भी नहीं सोचा यहाँ से कमला नगर कितनी दूर है, पाँच रुपए कितने कम हैं। मैं भीक्या करूँ? मुझे भी रुपयों की जरूरत है इसलिएइसेपाँच रुपए में पहियों की गति के साथ उसका दिमाग भी गतिशील था।
कमला नगर पहुँचने के बाद जैसे ही वह रिक्शे से नीचे उतरा। एक भिखारी उसके सामने आ गया। शिवम ने अपने पर्स से दस रुपए उस भिखारी को दे दिए और पाँच रुपए रिक्शे वाले को।
रिक्शेवाला बोला, साहब मेरे से अच्छा तो यह भिखारी रहा जिसे आपनेदस रुपए दिए। मैं इतनी दूर से लेकर आया और मेरी मेहनत के सिर्फ पाँच रुपए?’
शिवम बोला, ‘भिखारी को देना पुण्य है। मैंने उसे अधिक रुपए देकर पुण्य कमाया है।’
‘और जो मेरी मेहनत की पूरी मजदूरी नहीं दी ऐसाकरके क्या तुम पाप के भागीदार नहीं?’ रिक्शेवाले ने कहा। उसकी बात सुनते ही शिवम को क्रोध आ गया। वह बोला -’तुम लोगों से मुँह लगाना ही फिजूल है।
आजकल लोग अपने घरो में बैठ के बस बनते करते हैं ,जब बात कुछ करने की आती है तो कहते है मै क्यू ?हम अपने सारे कानून,हक गरीबों और कमज़ोरो (रिक्शेवाले , सब्जीवाले ) पे दिखाते हैं,जब कोई कुछ कहता है तो कहते है ये हमारा हक है और अपने आप को सही साबित करने की कोशीस करते हैं .लेकिन जब बात सच में कुछ करने की होती है . तो हम कहते हैं नहीं हम क्यों पड़े मुस्किल में .आजकल के लोग ...........(रिक्शेवाले , सब्जीवाले ) पे दिखाते हैं , हम उस से एक-एक रुपये के लिए लड़ते हैं और बड़े होटलों में टिप के नाम पे आराम से बिना कुछ कहे सौ रुपये दे देते हैं .
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